Saturday, November 21, 2009

फिर लगी द्रोपदी दांव पर...



भारत में एक और महाभारत चल रहा है..राजनीति की बिसात पर नेताओं ने लोकतंत्र रूपी द्रोपदी को दांव पर लगा दिया है...शिवसेना और एमएनएस के दुशासन खुलेआम लोकतंत्र का वस्त्रहरण कर रहे हैं और नेता बैठे बैठे देख रहे हैं ...ये नेता बोलें भी तो कैसे वोट के लालच में उन्होंने ही तो द्रोपदी को हारा है....अब बेलगाम गुंडे लोगतंत्र को नंगा करके अपनी जंघा पर बैठाने पर आमादा हैं ...महाराष्ट्र विधान सभा में पहले एमएनएस का हंगामा और फिर आईबीएन लोकमत चैनल के दफ्तर पर शिवसेना का हमला ...ये दोनों घटनाएं दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए शर्मसार कर देने वाली हैं...लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर मुठ्ठी भर गुंडे कैसे हमारी पूरी व्यवस्था पर हावी हो जाते हैं ... दरअसल ये सब कुछ उन रीढ़ वीहिन नेताओं की कायरता के चलते हो रहा है जो सत्ता के लालच में अंधें घृतराष्ट्र बन गए हैं ... आज वस्त्रहीन हो रहे लोकतंत्र को जरूरत है उस कृष्ण की जो उसे सरेआम नंगा होने से बचा सके ...लेकिन ये कृष्ण आसमान से नहीं उतरने वाला...अब हमें ही कृष्ण बनना होगा ...लोकतंत्र की लाज बचाने की ताकत हममें और आप में ही है ...और वो ताकत है वोट की ... क्या महाराष्ट्र की जनता मेरे इस दर्द को पढ़ रही है?
शैलेंद्र सिंह राजपूत

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