Saturday, November 28, 2009
ओबामा के पकवानों ने मन मोहा
हम भारतीय भी बड़े भोले होते हैं..प्यार के दो बोल और पेट भर खाना ...हमें जीतने के लिए बस इतना ही काफी है..हमारे प्रधानमंत्री भी दुनिया भर में ओबामा के भोज की तारीफ करके अपने भारतीय होने का पक्का सबूत दे रहे हैं..पकवानों की मिठास ने उनके मुंह में ऐसा कब्जा जमा लिया है की वे पाकिस्तानी दहशतगर्दो और चीनी हिमाकत के खट्टेपन को ही भूल गए हैं ...दुनिया पर राज कर रहा चतुर अमेरिका ये भलीभांति जानता है की भारत को थोड़े में ही संतुष्ट किया जा सकता है ..हमें जिम्मेदार मुल्क और स्वाभाविक दोस्त बता कर ओबामा ने बड़ी चतुराई से उन सुलगते मुद्दों को हवा नहीं दी ..जो उसके दोगलेपन की पोल खोल सकते हैं...दोगले तो हम भी कम नहीं हैं...एक तरफ दुनिया की महाशक्ति बनने का सपना देखते हैं और दूसरी तरफ हर मुद्दे कुटिल अमेरिका का साथ चाहते हैं ...अमेरिका के किसी एक अधिकारी का पाकिस्तान के खिलाफ दिया गया छोटा मोटा बयान ही हमें खुश कर जाता है...अमेरिका के दौरे पर गए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहीं से भी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि नजर नहीं आए...मनमोहन सिंह को ओबामा के दरबार की आवभगत का बखान छोड़ ये बताना चाहिए की उन्होंने आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका के दोहरे मापदंड के बारे बातचीत की या नहीं
शैलेंद्र सिंह राजपूत
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सही कहा!! अभी तक आवाभगत की खुमारी उतरी नहीं है.
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